CM Yogi ने Mahakumbh Mela 2025 की तैयारियों का जायजा लिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने प्रयागराज में आगामी Mahakumbh Mela 2025 की तैयारियों का निरीक्षण किया। 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले इस महापर्व के लिए प्रशासन ने जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

सीएम योगी ने संगम घाट पर आरती की और ‘लेटे हुए हनुमान जी मंदिर’ में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा:
“प्रयागराज सिटी का कायाकल्प करने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। 200 से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है। सिटी के सौंदर्यकरण के लिए व्यापक कार्य किए गए हैं। रेलवे स्टेशन पर खास व्यवस्थाएं की गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।”

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Highlights of Preparations for Mahakumbh 2025:

  • प्रयागराज को जोड़ने वाले मार्गों पर लगभग 5000 एकड़ क्षेत्र में पार्किंग स्पेस की व्यवस्था।
  • संगम से 2-5 किलोमीटर के दायरे में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम।
  • शहर के अंदर सौंदर्यकरण और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार।
  • सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह पुख्ता बनाने का आश्वासन।

सीएम योगी ने कहा, “महाकुंभ 2025 की ये पावन बेला 144 वर्षों के बाद आ रही है। ये केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है। दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु यहां आएंगे, और हमारा प्रयास है कि उन्हें सर्वोत्तम अनुभव प्रदान किया जाए।”

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने प्रयागराज में बायो सीएनजी प्लांट का भी निरीक्षण किया, जो पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

महाकुंभ में भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो हो जाएगी भारी परेशानी

महाकुंभ भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एक साथ गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने आते हैं। ये आस्था का पर्व जितना पवित्र है, उतना ही भीड़ और अव्यवस्था के कारण चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। ऐसे में कुछ सामान्य गलतियां आपकी यात्रा को कठिन बना सकती हैं। आइए जानते हैं, महाकुंभ में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. भीड़भाड़ वाले समय में स्नान न करें

मुख्य स्नान तिथियों (शाही स्नान) पर संगम घाटों पर बहुत ज्यादा भीड़ होती है। ऐसे में धैर्य रखें और अपने समय का सही चयन करें। जबरन भीड़ में धक्का-मुक्की से बचें, क्योंकि इससे हादसे होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. जरूरी दस्तावेज न भूलें

अपने पहचान पत्र और जरूरी दस्तावेज हमेशा साथ रखें। अगर आप किसी ग्रुप के साथ हैं, तो अपने संपर्क नंबर साझा करें। खोने या गुम होने की स्थिति में ये बेहद मददगार साबित हो सकता है।

3. गलत रास्तों का चयन न करें

महाकुंभ क्षेत्र बहुत बड़ा होता है, और गलत रास्तों पर चलने से आप परेशान हो सकते हैं। हमेशा सरकारी निर्देशों और लगाए गए संकेतों का पालन करें।

4. खाने-पीने में सावधानी बरतें

सड़क किनारे बिकने वाले भोजन और पानी से परहेज करें। अपने साथ पानी की बोतल और हल्का खाना लेकर चलें। ये स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाएगा।

5. पवित्रता और स्वच्छता का ध्यान रखें

महाकुंभ एक धार्मिक स्थल है, इसलिए यहां गंदगी न फैलाएं। घाटों और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।

सुरक्षित और सुखद यात्रा के लिए करें प्लानिंग

महाकुंभ में जाने से पहले अपनी यात्रा की पूरी योजना बनाएं। सरकारी निर्देशों और गाइडलाइन्स का पालन करें। ध्यान रखें, छोटी-छोटी सावधानियां आपको बड़ी समस्याओं से बचा सकती हैं।

महाकुंभ क्या होता है ?, अगला कुंभ मेला कहां लगेगा 2025 ?

Maha Kumbh Mela भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे भव्य और पवित्र पर्व है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक समागम माना जाता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होकर Ganga, Yamuna और पौराणिक सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करते हैं। ये मेला हर 12 साल में चार स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।

इस साल महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां करीब 20 करोड़ श्रद्धालु इस मेले में शामिल होंगे। इसलिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने संतों के स्वागत के लिए तैयारी भी तेज कर दी हैं। बताया जा रहा है कि, संतों के विश्राम के लिए करोड़ों की संख्या में रहने के लिए कमरे तैयार किए गए हैं साथ ही सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है।

MahaKumbh का महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कुंभ का आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी कथा पर आधारित है। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश (nectar of immortality) के लिए संघर्ष हुआ था। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरीं, जिन्हें पवित्र स्थल माना जाता है। यही कारण है कि महा कुंभ में संगम में स्नान को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम समझा जाता है।

विशेषताएं और आयोजन

महा कुंभ मेला 12 वर्षों के चक्र पर आधारित है और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इसकी तिथियां निर्धारित होती हैं। इस आयोजन में साधु-संतों, नागा बाबाओं और अखाड़ों की विशेष भूमिका होती है। मेले में धार्मिक प्रवचन, यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

आधुनिक सुविधाएं और तकनीकी उपयोग

अब कुंभ मेले का आयोजन अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित हो गया है। सरकार और प्रशासन की ओर से advanced technologies, जैसे डिजिटल टिकटिंग, सीसीटीवी मॉनिटरिंग और मोबाइल ऐप्स के जरिए मेले को सुचारू रूप से चलाया जाता है।

महा कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामूहिक आस्था का प्रतीक है। ये मेला न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि दुनिया को भारतीय विविधता और एकता की झलक भी दिखाता है।

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