Monalisa Viral Girl पर फिल्म बनाने वाले Sanoj Mishra गिरफ्तार

Monalisa Viral Girl : प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh) मेले में अपनी तस्वीरों के वायरल होने के बाद चर्चा में आई माला बेचने वाली लड़की मोनालिसा को फिल्म में काम देने का दावा करने वाले फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा को दिल्ली पुलिस ने रेप के एक मामले में गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारी दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नबी करीम थाना पुलिस ने की।

Sanoj Mishra रेप केस क्या है ?

सनोज मिश्रा पर झांसी की एक युवती ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता का आरोप है कि सनोज ने उसे फिल्मों में काम दिलाने का झांसा दिया और इस बहाने से शारीरिक शोषण किया। इसके अलावा, उन्होंने धमकियां देकर पीड़िता को चुप रहने के लिए मजबूर किया।

पीड़िता के अनुसार, उसकी मुलाकात सनोज मिश्रा से साल 2020 में टिकटॉक और इंस्टाग्राम के जरिए हुई थी। उस समय वो झांसी में रहती थी और सोशल मीडिया पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही थी। कुछ समय तक बातचीत और चैटिंग के बाद, 17 जून 2021 को सनोज ने उसे फोन करके बताया कि वो झांसी रेलवे स्टेशन पहुंच चुके हैं और उससे मिलना चाहते हैं।

पीड़िता ने सामाजिक दबाव का हवाला देकर मिलने से इनकार कर दिया, लेकिन सनोज ने आत्महत्या करने की धमकी दी। डर और तनाव के कारण पीड़िता उनसे मिलने को मजबूर हुई। अगले ही दिन, 18 जून 2021 को, सनोज ने फिर आत्महत्या की धमकी देकर उसे रेलवे स्टेशन बुलाया और वहां से एक रिसॉर्ट में ले गए, जहां उन्होंने उसे नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म किया।

ब्लैकमेलिंग और शादी का झांसा

पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि घटना के बाद सनोज ने उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो बना लीं और धमकी दी कि अगर उसने विरोध किया तो वे इन्हें सार्वजनिक कर देंगे। पीड़िता के अनुसार, इसके बाद उन्होंने शादी का झांसा देकर कई बार उसका शोषण किया।

सनोज ने लगातार उसे फिल्मों में काम दिलाने का लालच दिया और इसी उम्मीद में पीड़िता मुंबई चली गई। वहां वो सनोज के साथ रहने लगी, लेकिन वहां भी उसके साथ शारीरिक और मानसिक शोषण जारी रहा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि सनोज ने कई बार उसके साथ मारपीट भी की।

तीन बार कराया जबरन गर्भपात

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि पीड़िता के अनुसार, सनोज ने तीन बार उसका जबरन गर्भपात कराया। उसने दावा किया कि सनोज ने हर बार ये कहकर उसे बहलाया कि वो जल्द ही उससे शादी करेगा और उसे फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा ब्रेक देगा। लेकिन जब फरवरी 2025 में उसने पीड़िता को छोड़ दिया और उससे सभी संबंध तोड़ लिए, तब पीड़िता ने शिकायत करने का फैसला किया।

जब पीड़िता ने पुलिस में जाने की धमकी दी, तो सनोज ने उसे डराया कि अगर उसने कोई शिकायत दर्ज कराई तो उसकी निजी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा। लेकिन पीड़िता ने साहस दिखाते हुए दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद मामले की जांच शुरू की और सबूतों के आधार पर सनोज मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया। जब सनोज को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। हालांकि, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद नबी करीम थाना पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

रेप के आरोप को बताया झूठा

Sanoj Mishra के साथ काम कर रही एक महिला ने आरोपों को गलत बताया है। पीड़िता का आरोप है कि मोनालिसा की फिल्म की घोषणा के बाद सब कुछ ठीक था, लेकिन जैसे ही इस फैसले की तारीफ होने लगी, कुछ विरोधी सक्रिय हो गए। वसीम रिजवी, जिन पर गंभीर आरोप हैं, कुछ लोगों के साथ मिलकर इस मुद्दे को भटकाने लगे। इसके साथ ही, कुछ यूट्यूब क्रिएटर्स ने अपने व्यूज बढ़ाने के लिए इस विवाद को हवा दी। महिला ने दावा ये भी किया कि जिस युवती ने आरोप लगाए थे, उसने केस वापस भी ले लिया लेकिन फिर भी फिल्म रोकने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।

महाकुंभ मेले की Monalisa Viral Girl

ये मामला तब और सुर्खियों में आ गया जब सनोज मिश्रा का नाम प्रयागराज महाकुंभ मेले की वायरल गर्ल मोनालिसा से जुड़ा। हाल ही में मोनालिसा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, जिसके बाद उन्होंने चर्चा में रहते हुए अपनी फिल्म ‘द मणिपुर डायरी’ (The Manipur Diary) में मोनालिसा को कास्ट करने का दावा किया था। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी के बाद अब इस दावे पर भी सवाल उठने लगे हैं।

पुलिस की जांच जारी

दिल्ली पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं सनोज मिश्रा के खिलाफ पहले से भी कोई मामला दर्ज तो नहीं है। इसके अलावा, पुलिस ये भी देख रही है कि क्या उन्होंने अन्य लड़कियों को भी इसी तरह फिल्मों में काम दिलाने के नाम पर ठगा है।

इस पूरे मामले ने फिल्म इंडस्ट्री में उन लोगों की सच्चाई सामने लाने का एक बड़ा मुद्दा उठाया है, जो संघर्षरत युवतियों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। अब देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या पीड़िता को न्याय मिल पाता है या नहीं।

Delhi Dehradun Expressway : 1 घर और अटक गया दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे ?

Delhi Dehradun Expressway : विकसित भारत के लिए सबसे जरूरी है कि भारत में शानदार सड़क बनें, हाईवे और एक्सप्रेस वे भी बनें। लेकिन कई बार छोटे-छोटे मामलों की वजह से बड़े बड़े काम रुक जाते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) में दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस वे से जुड़ा है। एक अंग्रेजी अखबार ने मामले में एक शानदार रिपोर्ट तैयार की है। ये रिपोर्ट भारत के विकास और एक आम आदमी के बीच की जंग दिखाती है।

90 के दशक का मंडोला और भूमि अधिग्रहण

दरअसल 90 के दशक में मंडोला का स्वरूप बिल्कुल अलग था। वीरसेन सरोहा और उनका परिवार 1,600 वर्ग मीटर जमीन पर बने एक साधारण घर में रहते थे। चारों ओर खेत और ग्रामीण घर थे। 1998 में, यूपी हाउसिंग बोर्ड ने मंडोला हाउसिंग स्कीम के लिए छह गांवों से 2,614 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की अधिसूचना जारी की।

धीरे-धीरे अधिकतर परिवारों ने अपनी ज़मीन दे दी, लेकिन वीरसेन ने मुआवजे की शर्तों से असहमति जताते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। अदालत ने उनके भूखंड के अधिग्रहण पर रोक लगा दी। इस कानूनी लड़ाई और विरोध के चलते यह हाउसिंग स्कीम कभी साकार नहीं हो सकी।

Expressways परियोजना और वीरसेन का विरोध

इसी बीच, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के लिए ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की। यूपी हाउसिंग बोर्ड ने NHAI को वो जमीन देने पर सहमति जताई, जिसमें वीरसेन का घर भी शामिल था। लेकिन वीरसेन के परिवार ने झुकने से इनकार कर दिया। आज, ये घर वैसा ही खड़ा है जैसा नब्बे के दशक में था, जबकि इसके आसपास सबकुछ बदल चुका है। एक ओर अक्षरधाम से लेकर दूसरी ओर उत्तराखंड की पहाड़ियों तक फैला एक्सप्रेसवे है।

Delhi Dehradun Expressway पर अड़चनें

NHAI अक्षरधाम और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के बीच एक्सप्रेसवे का निर्माण दो खंडों में कर रहा है – अक्षरधाम से लोनी (14.7 KM ) और लोनी से खेकड़ा (16 KM)। इन दोनों खंडों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन वीरसेन के 1,600 वर्ग मीटर की जमीन की वजह से ये काम बाधित है। पूरा 212 KM का एक्सप्रेसवे जून तक खुलने की संभावना है।

NHAI के एक अधिकारी का दावा है कि, “मुकदमेबाजी की वजह से निर्माण कार्य रुका हुआ है, क्योंकि परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।” 1998 में जब मंडोला हाउसिंग प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी, तब सरकार ने 1,100 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि अधिग्रहण की पेशकश की थी, जिससे लगभग 1,000 किसान और मकान मालिक प्रभावित हुए। धीरे-धीरे 94% लोगों ने मुआवजा स्वीकार कर लिया, लेकिन वीरसेन ने मना कर दिया।

भूमि विवाद और कानूनी प्रक्रिया

मंडोला में ज्यादा मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नीरज त्यागी ने कहा, “जिन लोगों ने जमीन देने से इनकार किया, वे चाहते थे कि मुआवज़े की दरें बढ़ाई जाएं।” वीरसेन ने 2007 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया। लंबे समय तक अदालत में मामला चलने के कारण, 2010 में यूपी हाउसिंग बोर्ड (UP Housing Board) को उनकी ज़मीन का सीमांकन करना पड़ा। लेकिन समाधान तक पहुंचने से पहले ही वीरसेन का निधन हो गया।

2017 और 2020 के बीच NHAI की एक्सप्रेसवे योजना साकार हुई। हाउसिंग बोर्ड के एक सूत्र के अनुसार, “NHAI को रैंप बनाने के लिए मंडोला के पास ज़मीन की जरूरत थी। 2020 में हाउसिंग बोर्ड ने NHAI को ये भूमि सौंप दी, जिसमें वीरसेन का घर भी शामिल था।” 2024 में, वीरसेन के पोते लक्ष्यवीर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

ये तर्क देते हुए कि ये ज़मीन हाउसिंग बोर्ड को नहीं दी जानी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच को भेज दिया है, जिसने 16 अप्रैल को सुनवाई निर्धारित की है। कोर्ट ने तेज़ी से फैसला लेने का निर्देश दिया है, क्योंकि एक्सप्रेसवे का उद्घाटन इस पर निर्भर करता है।

दिल्ली-बागपत यात्रा में होगा बड़ा बदलाव

अक्षरधाम-ईपीई सेक्शन के खुलने से दिल्ली-बागपत की दूरी मात्र 30 मिनट में पूरी हो सकेगी। NHAI के अनुसार, “करीब 20 KM का एलिवेटेड सेक्शन इस मार्ग का हिस्सा होगा, जो अक्षरधाम से लोनी होते हुए बागपत तक निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।”

जेवर एयरपोर्ट से जुड़ेगा गंगा एक्सप्रेस-वे, बुलंदशहर समेत कई जिलों को फायदा

गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश सरकार ने जेवर एयरपोर्ट को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी है। इसके लिए बुलंदशहर होते हुए एक नया लिंक एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा। सरकार ने इस परियोजना के लिए बजट में 1000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इस लिंक एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 76 किलोमीटर होगी, जो यमुना एक्सप्रेस-वे से 24 किलोमीटर पहले जुड़ेगा। इसके निर्माण की अनुमानित लागत 4415 करोड़ रुपये है।

इस एक्सप्रेस-वे के बनने से मेरठ, बुलंदशहर और आसपास के इलाकों के लोगों को जेवर एयरपोर्ट तक पहुंचने में काफी सुविधा होगी। साथ ही, पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से आने वाले यात्रियों को भी इसका लाभ मिलेगा। ये परियोजना प्रदेश के विभिन्न हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।

76 KM लंबा होगा लिंक एक्सप्रेस-वे

जेवर एयरपोर्ट को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने वाला ये लिंक एक्सप्रेस-वे करीब 76 किलोमीटर लंबा होगा। इसका अंतिम बिंदु गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। वर्तमान में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर प्रदेश के बीच से गुजर रहे हैं। फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेस-वे के जरिए बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, यमुना एक्सप्रेस-वे के नजदीक निर्माणाधीन जेवर एयरपोर्ट को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने से यातायात व्यवस्था में काफी सुधार होगा।

इस लिंक एक्सप्रेस-वे के बनने से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले लोग आसानी से एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच सकेंगे। ये न केवल यात्रा समय को कम करेगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा।

ई-वे हब के लिए 144 करोड़

बजट में बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए 12 ई-वे हब बनाने की योजना भी शामिल की गई है। इनमें से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर 4 और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर 8 ई-वे हब बनाए जाएंगे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर ई-वे हब निर्माण के लिए 72 करोड़ रुपये और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए 144 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

इसके अलावा, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के सुदृढ़ीकरण के लिए बजट में 800 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इस राशि से एक्सप्रेस-वे की छोटी-छोटी कमियों को दूर कर इसे और बेहतर बनाया जाएगा। साथ ही, एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे पर एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाने के लिए 10-10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

एक्सप्रेस-वे से खुलेंगे रोजगार के रास्ते

इस परियोजना से न केवल यातायात व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। निर्माण कार्यों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा। साथ ही, ई-वे हब और ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के लिए तकनीकी कौशल वाले युवाओं की मांग बढ़ेगी।

जेवर एयरपोर्ट को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की ये परियोजना उत्तर प्रदेश के यातायात ढांचे में एक नई क्रांति लाएगी। ये न केवल यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देगी। सरकार की यह पहल प्रदेश के निवासियों, विशेषकर युवाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगी।

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