Attack on Women in Syria: रमजान के पवित्र महीने में सीरिया में जारी संघर्ष ने विकराल रूप धारण कर लिया है। नई सरकार और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच हो रही हिंसक झड़पों में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस संघर्ष में खासकर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों की घटनाएं बढ़ गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युवतियों और विवाहित महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं, और कई महिलाओं को सरेआम निर्वस्त्र करके घुमाने की खबरें भी सामने आई हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान कई महिलाओं की नृशंस हत्या भी कर दी गई है।
इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और मुस्लिम धर्मगुरुओं की चुप्पी पर सवाल उठाया है। VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने X पर इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा, “सीरिया में हिंसा का खौफनाक मंजर: महिलाओं को निर्वस्त्र कर हत्या कर दी जा रही है! रमजान के पवित्र महीने में भी यह बर्बरता जारी है! क्या यही इस्लाम और रमजान का पाक नामा है?”
उन्होंने आगे लिखा कि सीरिया में नई सरकार बनने के बाद से ही हिंसा लगातार बढ़ रही है। पुरुषों को भी अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है, और महिलाओं की खुलेआम हत्याएं की जा रही हैं। VHP प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि गाजा के मुद्दे पर आवाज उठाने वाले भारतीय मुस्लिम कट्टरपंथी और उलेमा इस पर चुप क्यों हैं? क्या वे इस पर भी प्रदर्शन करने का साहस दिखाएंगे? साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और यूनाइटेड वुमेन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वे इस गंभीर मुद्दे पर कोई बयान क्यों नहीं दे रहे?
सीरिया के हालात और भारतीय मौलानाओं की चुप्पी
सीरिया में जारी हिंसा को लेकर भारत में भी बहस छिड़ गई है। हाल ही में भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रोज़ा रखने को लेकर विवाद हुआ था, लेकिन इस मुद्दे पर मुखर रहने वाले मौलाना और धर्मगुरु सीरिया में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे हुए हैं। VHP ने इन धार्मिक नेताओं के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब गाजा के मुद्दे पर वे आवाज उठा सकते हैं, तो फिर सीरिया की भयावह स्थिति पर क्यों नहीं?
सीरिया में पिछले कुछ दिनों से नई सरकार और बशर अल-असद समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष जारी है। हजारों लोगों की जान जा चुकी है, और कई निर्दोष नागरिक हिंसा की चपेट में आ चुके हैं। ताज़ा झड़पें उस समय शुरू हुईं जब सुरक्षा बलों ने एक वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने का प्रयास किया, जिसके बाद असद समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया। इसके बाद संघर्ष और भी बढ़ गया।
सुन्नी और अलावी समुदायों के बीच बढ़ता तनाव
सीरिया में सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों और अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के बीच हिंसा तेज हो गई है। बुधवार को सुन्नी मिलिशिया समूहों ने अलावी समुदाय पर हमला कर दिया, जिसके बाद से दोनों पक्षों में लगातार झड़पें हो रही हैं। VHP ने इस हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया है। संगठन ने कहा कि जो मानवाधिकार समूह छोटी-छोटी घटनाओं पर भारत के खिलाफ बयान देते हैं, वे अब कहां छिप गए हैं?
सीरिया में बिगड़ते हालात और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रिया जरूरी है। इस संघर्ष में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि निर्दोष लोगों को इस हिंसा का शिकार होने से बचाया जा सके।