Supreme Court On Waqf Act 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस अहम मुद्दे पर गहन चर्चा की, लेकिन फिलहाल कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया गया। अब अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।
Waqf Act कानून पर दर्जनों याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में अब तक इस अधिनियम को चुनौती देने वाली 15 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में धार्मिक संस्थानों, सांसदों, राजनीतिक दलों और विभिन्न राज्य सरकारों ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। दूसरी ओर, BJP शासित छह राज्यों—असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र—ने कानून के समर्थन में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। केंद्र सरकार ने भी 8 अप्रैल को कैविएट दाखिल किया था कि अदालत कोई आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के अहम बिंदु
1. दिल्ली हाई कोर्ट और ओबेरॉय होटल वक्फ जमीन पर?
सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस ने चिंता जताई कि कैसे कुछ महत्वपूर्ण संपत्तियों को Waqf संपत्ति घोषित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट और ओबेरॉय होटल वक्फ की जमीन पर बने हैं। जरूरी नहीं कि सभी वक्फ गलत हों, लेकिन चिंता के कुछ वाजिब कारण हैं।”
2. विरासत और इस्लामी कानून पर बहस
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि इस्लामी कानून में विरासत मृत्यु के बाद ही मिलती है, और सरकार इससे पहले दखल नहीं दे सकती। इस पर CJI ने कहा, “हिंदू कानून में ऐसा होता है, इसलिए मुसलमानों के लिए अलग कानून बनाया गया है। संविधान का अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है और ये सभी समुदायों पर लागू होता है।”
3. सरकारी संपत्ति और संरक्षित स्मारकों पर विवाद
सिब्बल ने धारा 3सी और 3डी का हवाला देते हुए कहा कि सरकार किसी संपत्ति को Waqf मानने से इनकार कर सकती है, जबकि कई ऐतिहासिक मस्जिदें Waqf बाय यूजर के तहत आती हैं। CJI ने पूछा, “ऐसे कितने मामले हैं?” सिब्बल ने जामा मस्जिद का नाम लिया, लेकिन कोर्ट ने बताया कि मस्जिद को बाद में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था।
4. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य?
सिब्बल ने आपत्ति जताई कि धारा 9 और 14 के तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को नामांकित किया जा सकता है, जो अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि दूसरे धर्मों के धार्मिक संस्थानों में ऐसा क्यों नहीं होता।
5. पंजीकरण जरूरी क्यों?
सिब्बल ने Waqf संपत्ति के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “कई संपत्तियों के दस्तावेज 300 साल पुराने हैं, जो अब मिलना मुश्किल है।” इस पर CJI ने सुझाव दिया कि पंजीकरण से फर्जी दावों को रोका जा सकता है।
6. कानून की संवैधानिकता पर सवाल
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि ये कानून संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों के बाद लाया गया। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में व्यापक बहस के बाद इसे पारित किया गया है। इस पर CJI ने सवाल किया, “अगर पहले कोई वक्फ बाय यूजर था तो क्या अब वो अमान्य हो गया है?”
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7. ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों पर टिप्पणी
CJI ने कहा कि ब्रिटिश राज से पहले किसी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। “14वीं-15वीं सदी की मस्जिदों से दस्तावेज मांगना संभव नहीं है,” उन्होंने कहा।
8. धारा 2ए को लेकर कड़ी टिप्पणी
CJI ने धारा 2ए के उस प्रावधान पर आपत्ति जताई जिसमें कहा गया है कि कोर्ट के किसी भी फैसले के बावजूद ट्रस्ट की संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा, “आप अदालत के आदेश को शून्य नहीं कर सकते।”
9. न्यायिक तुलना और धर्म
CJI खन्ना ने कहा, “हम जब निर्णय लेते हैं तो धर्म भूल जाते हैं, लेकिन धार्मिक संस्थानों की प्रशासनिक संरचना धर्म से जुड़ी होती है। इसे सामान्य जजों की भूमिका से तुलना नहीं की जा सकती।”
10. मुस्लिम समुदाय की राय?
सुनवाई के अंत में तुषार मेहता ने कहा कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग इस अधिनियम के दायरे में नहीं आना चाहता। इस पर CJI ने सवाल किया, “तो क्या अब आप कह रहे हैं कि मुसलमानों को भी हिंदू धर्म ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा? कृपया स्पष्ट करें।”
सुप्रीम कोर्ट में Waqf Amendment Bill को लेकर गंभीर संवैधानिक और सामाजिक सवाल उठाए गए हैं। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनीं और फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया। अगली सुनवाई गुरुवार, 17 अप्रैल को होगी, जिसमें मामले में और गहराई से विचार किया जाएगा।