अमेरिका के सामने यूक्रेन ने किया सरेंडर!, 500 बिलियन डॉलर में हुआ सौदा

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध में हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। बीते दिन रूस के ड्रोन हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने सहयोगियों से एकजुटता बनाए रखने की अपील की। इस बीच, युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनकी नीतियों के सामने आखिरकार जेलेंस्की को झुकना पड़ा है।

यूक्रेनी सुरक्षा अधिकारियों ने जानकारी दी है कि यूक्रेन ने अमेरिका के साथ एक प्रमुख खनिज सौदे को स्वीकार कर लिया है। इस सौदे का मूल्य 500 बिलियन डॉलर बताया जा रहा है। ये सौदा यूक्रेन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वो रूस के साथ युद्ध समाप्त करने की वार्ता से पहले अमेरिका को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रहा है।

ट्रंप की नीति के आगे झुके जेलेंस्की?

डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ करार दिया था। अमेरिका ने लंबे समय से यूक्रेन पर खनिज समझौते के लिए दबाव बनाया हुआ था, जिसे स्वीकार करने से जेलेंस्की अब तक इनकार कर रहे थे। लेकिन अंततः, अमेरिकी दबाव के आगे यूक्रेन के राष्ट्रपति को झुकना पड़ा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार को जेलेंस्की व्हाइट हाउस की यात्रा करने वाले हैं। इस यात्रा के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच महत्वपूर्ण बैठक होगी, जिसमें अमेरिका द्वारा प्रस्तावित खनिज सौदे पर सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है। इस सौदे से यूक्रेन को उम्मीद है कि वो ट्रंप प्रशासन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकेगा, दीर्घकालिक सुरक्षा संबंधों को बेहतर बनाएगा और युद्ध को समाप्ति के करीब ले आएगा।

क्या है खनिज सौदे की अहमियत?

इस समझौते में खनिज, तेल और गैस जैसे प्रमुख संसाधन शामिल हैं। अमेरिका द्वारा ये सौदा तब पेश किया गया जब उसने संभावित राजस्व के 500 बिलियन डॉलर के हिस्से की अपनी मांग को छोड़ने का निर्णय लिया। यूक्रेन के उपप्रधानमंत्री और न्याय मंत्री ओल्हा स्टेफनिशिना ने बताया कि “खनिज समझौता तस्वीर का केवल एक हिस्सा है। हमने अमेरिकी प्रशासन से कई बार सुना है कि ये एक बड़ी रणनीतिक योजना का हिस्सा है।”

यूक्रेन के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी दी कि अभी भी सौदे की कुछ शर्तों पर काम किया जा रहा है। इस समझौते की मूल शर्तें ट्रंप के फिर से सत्ता में लौटने के बाद तैयार की गई थीं। इस समझौते को लेकर यूक्रेन की ओर से शुरू में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी।

क्योंकि आशंका जताई गई थी कि ये सौदा यूक्रेन को अमेरिका का आर्थिक गुलाम बना सकता है। पहले जेलेंस्की ने अधिकारियों को इस समझौते पर हस्ताक्षर न करने का निर्देश दिया था, जिससे अमेरिका नाराज हो गया था। इसके बाद ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ करार दे दिया और उन पर युद्ध शुरू करने का भी आरोप लगाया था।

अमेरिका पर यूक्रेन की निर्भरता

यूक्रेन लंबे समय से रूस के आक्रमण का सामना करने के लिए अमेरिका को अपने प्रमुख सैन्य सहयोगी के रूप में देखता रहा है। हालांकि, जनवरी में ट्रंप के पदभार संभालने के बाद से वाशिंगटन की नीति में बदलाव आया है। ट्रंप ने यूरोपीय सहयोगियों या यूक्रेन को शामिल किए बिना रूस के साथ सीधी बातचीत करने का रुख अपनाया है।

अधिकारियों के अनुसार, इस समझौते को यूक्रेन के न्याय, अर्थव्यवस्था और विदेश मंत्रालयों द्वारा पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है। अब सबकी नजरें ट्रंप और जेलेंस्की की आगामी बैठक पर टिकी हैं, क्योंकि दोनों नेताओं के बीच वर्षों से अस्थिर संबंध रहे हैं। यदि इस बैठक में समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो ये रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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