Mandir के सोने से सरकार मालामाल, 17.81 करोड़ की हुई कमाई

Indian Mandir Gold : आपने कभी सुना है कि मंदिरों से भी कमाई हो सकती है, या फिर मंदिर में दान किए गए सामान से लाखों-करोड़ रुपये का ब्याज मिल सकता है। सुनकर यकीन नहीं होता लेकिन ये संभव करके दिखाया है भारत के एक राज्य की सरकार ने। तमिलनाडु सरकार ने एक चौंकाने वाला लेकिन सराहनीय खुलासा किया है।

राज्य के 21 प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए 1,000 किलो से अधिक सोने को पिघलाकर 24 कैरेट सोने की छड़ों में बदला गया है। इन छड़ों को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की स्वर्ण निवेश योजना (Gold Monetisation Scheme) के तहत जमा कर दिया गया है। इस निवेश से राज्य को हर साल 17.81 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है।

सोना अब Mandir की भलाई में आ रहा काम

राज्य सरकार की ओर से 17 अप्रैल 2025 को विधानसभा में पेश की गई एक नीति रिपोर्ट के अनुसार, ये निर्णय उन सोने की वस्तुओं को लेकर लिया गया, जो मंदिरों में वर्षों से रखी थीं लेकिन उनका किसी धार्मिक अनुष्ठान या उपयोग में इस्तेमाल नहीं हो रहा था।

इन गहनों और अन्य वस्तुओं को मुंबई स्थित सरकारी टकसाल (मिंट) में शुद्ध सोने में पिघलाया गया और फिर उन्हें छड़ों का रूप देकर बैंकों में निवेश कर दिया गया। इससे मिलने वाला ब्याज सीधे Mandir के रख-रखाव, विकास और धार्मिक गतिविधियों के संचालन में इस्तेमाल किया जा रहा है।

कौन देख रहा है योजना की निगरानी?

इस योजना की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सरकार ने राज्य के तीन क्षेत्रों के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में तीन स्वतंत्र निगरानी समितियाँ गठित की हैं। इनका कार्य निवेश प्रक्रिया की निगरानी और उसके उपयोग की समीक्षा करना है।

हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ निधि विभाग के मंत्री पी के शेखर बाबू ने इस योजना को राज्य के Mandir की आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

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तिरुचिरापल्ली का Mandir सबसे आगे

इस निवेश योजना में सबसे अधिक योगदान देने वाले Mandir का नाम है अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर, जो तिरुचिरापल्ली जिले के समयपुरम में स्थित है। इस Mandir ने अकेले 4,24,266.491 ग्राम यानी करीब 424.26 किलो सोना इस योजना के लिए दिया।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर 21 मंदिरों से अब तक 10,74,123.488 ग्राम (यानी करीब 1,074 किलो) शुद्ध सोना प्राप्त हुआ है। इन छड़ों पर वर्तमान मूल्य के अनुसार सालाना 17.81 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है।

अब बारी है चांदी की

सरकार ने अब मंदिरों में रखी बेकार पड़ी चांदी की वस्तुओं को भी उपयोग में लाने का निर्णय लिया है। इसके तहत चांदी को भी उसी तरह पिघलाकर शुद्ध चांदी की सिल्लियों में बदला जाएगा। पिघलाने की ये प्रक्रिया मंदिर परिसर में ही, न्यायाधीशों की निगरानी में होगी।

सरकार के मुताबिक, निजी चांदी प्रगलन (silver refining) कंपनियों को ये जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन ये सारा काम पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ किया जाएगा।

मंदिरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम

तमिलनाडु सरकार की ये पहल देशभर के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल बन सकती है। हजारों किलो सोना और चांदी मंदिरों में वर्षों से बिना उपयोग के पड़ा रहता है। ऐसे में यदि इन संसाधनों का स्मार्ट और ईमानदार तरीके से निवेश किया जाए, तो मंदिर स्वावलंबी बन सकते हैं और सरकार पर उनकी वित्तीय निर्भरता भी कम हो सकती है।

इस योजना से मिलने वाली ब्याज राशि से मंदिरों की मरम्मत, सुविधाओं का विकास, धार्मिक उत्सवों का आयोजन और तीर्थयात्रियों की सेवा जैसे कार्यों को मजबूती मिलेगी।

तमिलनाडु सरकार का ये कदम दिखाता है कि आस्था और आधुनिक वित्तीय सोच को कैसे जोड़ा जा सकता है। मंदिरों की संपत्ति अब केवल ताले में बंद खजाना नहीं, बल्कि स्मार्ट निवेश का माध्यम बन रही है। यदि ये मॉडल देशभर में लागू हो, तो भारत के सैकड़ों मंदिर धार्मिक के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण का भी केंद्र बन सकते हैं।

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