क्या हस्तमैथुन से स्पर्म काउंट कम होता है? युवाओं के लिए जरूरी जानकारी

हस्तमैथुन यानी मास्टरबेशन एक ऐसा टॉपिक है जिसे लेकर युवाओं के मन में कई सवाल और मिथक होते हैं। इनमें से एक बड़ा सवाल ये है कि क्या हस्तमैथुन करने से स्पर्म काउंट कम होता है? क्या इसका असर फर्टिलिटी पर पड़ता है? आइए, इस बारे में साइंस और फैक्ट्स के आधार पर जानते हैं।

स्पर्म काउंट क्या है?

स्पर्म काउंट यानी वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या। एक हेल्दी पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से लेकर 200 मिलियन तक स्पर्म हो सकते हैं। अगर स्पर्म काउंट कम होता है, तो ये फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। लेकिन क्या हस्तमैथुन से स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है? आइए समझते हैं।

हस्तमैथुन और स्पर्म काउंट: क्या है कनेक्शन?

हस्तमैथुन एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो शरीर में तनाव कम करने और यौन इच्छाओं को संतुलित करने में मदद करती है। लेकिन क्या ये स्पर्म काउंट को कम करता है? जवाब है – नहीं। हस्तमैथुन करने से स्पर्म काउंट पर कोई परमानेंट इफेक्ट नहीं पड़ता।

शुक्राणु शरीर में लगातार बनते रहते हैं। हस्तमैथुन करने से वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन ये कमी कुछ दिनों में ही रिकवर हो जाती है। शरीर में स्पर्म बनाने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, इसलिए हस्तमैथुन का स्पर्म काउंट पर कोई लॉन्ग-टर्म इफेक्ट नहीं होता।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स और स्टडीज?

कई स्टडीज और एक्सपर्ट्स का मानना है कि हस्तमैथुन का स्पर्म काउंट पर कोई नेगेटिव इफेक्ट नहीं पड़ता। एक स्टडी के मुताबिक, हस्तमैथुन करने से स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी पर कोई बुरा असर नहीं होता। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करता है, तो उसके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या अस्थायी रूप से कम हो सकती है, लेकिन ये कुछ दिनों में ही नॉर्मल हो जाती है।

हस्तमैथुन के फायदे भी हैं!

हस्तमैथुन के बारे में सिर्फ मिथक ही नहीं, इसके कई फायदे भी हैं। ये शरीर में तनाव कम करने, नींद को बेहतर बनाने और यौन स्वास्थ्य को मेंटेन रखने में मदद करता है। इसके अलावा, ये शरीर में हार्मोनल बैलेंस को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है।

किन बातों का रखें ध्यान?

हालांकि हस्तमैथुन पूरी तरह से सेफ है, लेकिन इसे लिमिट में करना जरूरी है। अगर कोई बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करता है, तो उसे थकान या कमजोरी महसूस हो सकती है। इसके अलावा, अगर हस्तमैथुन आपकी डेली लाइफ या रिलेशनशिप पर असर डाल रहा है, तो इसे कंट्रोल करना जरूरी है।

हस्तमैथुन कितना करना चाहिए ?

हस्तमैथुन करने से स्पर्म काउंट परमानेंटली कम नहीं होता। ये एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो शारीरिक और मानसिक हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, इसे लिमिट में करना जरूरी है। अगर किसी को स्पर्म काउंट या फर्टिलिटी से जुड़ी कोई चिंता है, तो उसे डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।

युवाओं के लिए जरूरी है कि वे इस टॉपिक पर खुलकर बात करें और सही जानकारी हासिल करें। गलत धारणाओं से बचें और अपने हेल्थ का सही तरीके से ख्याल रखें।

कैंसर कितने दिन में फैलता है? कैंसर का सही इलाज क्या है?

नई दिल्ली: कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होती है। ये बीमारी धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है, जिसे मेडिकल भाषा में मेटास्टेसिस (Metastasis) कहा जाता है। लेकिन सवाल ये है कि कैंसर कितने दिन में फैलता है और इसका सही इलाज क्या है?

कैंसर कितने दिन में फैलता है?

कैंसर के फैलने की गति इस पर निर्भर करती है कि ये किस प्रकार का कैंसर है और व्यक्ति की शारीरिक स्थिति कैसी है। कुछ कैंसर तेजी से फैलते हैं, जबकि कुछ बहुत धीमी गति से बढ़ते हैं।

  1. तेजी से फैलने वाले कैंसर – लंग कैंसर, लिवर कैंसर, पैंक्रियाटिक कैंसर और ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया) कुछ ऐसे प्रकार हैं, जो कुछ ही महीनों में शरीर के अन्य भागों तक फैल सकते हैं।
  2. धीमे गति से फैलने वाले कैंसर – प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और कुछ प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर धीरे-धीरे फैलते हैं और सालों तक शरीर में मौजूद रह सकते हैं।
  3. स्टेज पर निर्भरता – कैंसर की पहचान अगर शुरुआती स्टेज (Stage 1 या 2) में हो जाती है, तो इसे रोकना आसान होता है। लेकिन अगर यह तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच जाता है, तो इसका तेजी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है।

कैंसर का सही इलाज क्या है?

कैंसर का इलाज इसकी स्टेज और टाइप पर निर्भर करता है। वर्तमान में मेडिकल साइंस में कई प्रभावी इलाज मौजूद हैं, जिनकी मदद से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

1. सर्जरी (Surgery)

अगर कैंसर शुरुआती स्टेज में है और किसी विशेष अंग तक ही सीमित है, तो सर्जरी करके उसे हटा दिया जाता है। यह ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कुछ अन्य प्रकार के कैंसर में प्रभावी हो सकता है।

2. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

इसमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। यह उन मरीजों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है, जिनमें कैंसर तेजी से फैल रहा होता है।

3. रेडियोथेरेपी (Radiotherapy)

इस प्रक्रिया में हाई-इंटेंसिटी रेडिएशन का उपयोग किया जाता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह मुख्य रूप से ब्रेन ट्यूमर, हेड एंड नेक कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर में कारगर है।

4. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)

इस थेरेपी में शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जाता है ताकि वह खुद कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके। यह तकनीक कुछ विशेष प्रकार के कैंसर जैसे लंग कैंसर और मेलानोमा में प्रभावी पाई गई है।

5. टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy)

यह एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें कैंसर कोशिकाओं को विशेष रूप से टारगेट कर के उनका विकास रोका जाता है।

क्या कैंसर का पूरी तरह इलाज संभव है?

अगर कैंसर का पता शुरुआती चरण में लग जाए और सही इलाज किया जाए, तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। लेकिन अगर बीमारी अंतिम चरण में पहुंच गई हो, तो इसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है।

कैंसर से बचाव कैसे करें?

  • धूम्रपान और शराब से बचें – ये दोनों चीजें कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से एक हैं।
  • स्वस्थ आहार लें – हरी सब्जियां, फल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
  • नियमित व्यायाम करें – फिटनेस बनाए रखने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
  • रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं – खासतौर पर 40 साल की उम्र के बाद नियमित कैंसर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।

कैंसर का फैलाव और इलाज इस पर निर्भर करता है कि इसका पता कितनी जल्दी लगता है। शुरुआती स्टेज में इलाज शुरू करने से इसे रोका जा सकता है। मेडिकल साइंस में लगातार नए इलाज विकसित हो रहे हैं, जिससे मरीजों को बेहतर जीवन जीने का मौका मिल रहा है। जागरूकता और समय पर जांच से कैंसर को हराया जा सकता है।

AIIMS में AI से होगा मरीजों का इलाज, मिलेगी ये मदद

AIIMS दिल्ली, देश का प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान, मरीजों की सहूलियत और मेडिकल फील्ड में इनोवेशन के लिए लगातार काम कर रहा है। जल्द ही यहां कई नई सुविधाएं और सेवाएं शुरू होंगी, जो मरीजों के इलाज को और भी आसान और प्रभावी बनाएंगी।

200 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक होगा लॉन्च

डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने बताया कि जल्द ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर कैंपस में 200 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट (CCU) तैयार होगा। ये यूनिट एडवांस मेडिकल इक्विपमेंट्स से लैस होगी और गंभीर हालत वाले मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभाएगी। हालांकि, इस यूनिट को पूरी तरह तैयार होने में करीब दो साल का वक्त लग सकता है।

AI से हेल्थकेयर में इनोवेशन

मेडिकल फील्ड में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। एम्स अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रहा है, जिससे मरीजों के इलाज और प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा। AI आधारित सिस्टम हेल्थकेयर को और efficient और patient-centric बना रहे हैं।

सेफ्टी और सिक्योरिटी को नया लेवल

एम्स में 200 फेस रिकॉग्निशन कैमरे लगाए गए हैं, जो संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेंगे। पूरे कैंपस में पहले से ही 2800 कैमरे लगे हैं। नए कैमरों की परफॉर्मेंस को दो महीने तक मॉनिटर किया जाएगा, जिसके बाद इनकी संख्या बढ़ाने पर विचार होगा।

बेड्स और ऑपरेशन थिएटर की संख्या में इजाफा

एम्स में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑपरेशन थिएटर की संख्या 50% और आईसीयू बेड्स की संख्या 40% तक बढ़ाई गई है। इसके अलावा, 34% inpatient बेड्स, 20% radiology services, और 15% laboratory services में भी इजाफा किया गया है।

बच्चों के लिए एयरपोर्ट जैसे वेटिंग लाउंज

2025 तक एम्स बच्चों के लिए खास सुविधाएं जैसे एयरपोर्ट जैसे लाउंज, प्ले एरिया और लाइब्रेरी शुरू करेगा। येोोो देश का पहला मेडिकल इंस्टिट्यूट है, जो 100% पेपरलेस हो चुका है, जिससे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का उदाहरण पेश करता है।

रेफरल सिस्टम: मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज

एम्स डायरेक्टर के अनुसार, रेफरल सिस्टम की शुरुआत की जा रही है। इसके तहत बिहार से आने वाले मरीज पहले पटना एम्स में रेफर किए जाएंगे। अगर वहां इलाज संभव नहीं है, तो उन्हें दिल्ली एम्स भेजा जाएगा। इस सिस्टम के लिए एक खास सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जिससे इलाज का प्रोसेस और भी streamlined होगा।

हर साल 50 लाख मरीजों का इलाज

एम्स दिल्ली में हर साल करीब 50 लाख मरीज आते हैं। फिलहाल यहां 3600 बेड हैं, लेकिन मरीजों की संख्या को देखते हुए ये संख्या और बढ़ाई जा रही है। इमरजेंसी में रोजाना 700-800 मरीज इलाज के लिए आते हैं।

फैकल्टी और स्टाफ की भर्ती जारी

एम्स में 20-30% फैकल्टी की कमी है। इसे पूरा करने के लिए वैकेंसीज़ और कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ की भर्तियां की जा रही हैं। इंटरव्यू और अन्य प्रोसेस पहले ही शुरू हो चुके हैं।

एम्स दिल्ली न केवल अपनी सुविधाओं को बढ़ा रहा है, बल्कि टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के जरिए मरीजों को बेहतरीन हेल्थकेयर सेवाएं देने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। ये बदलाव न केवल मरीजों की सुविधा के लिए है, बल्कि हेल्थकेयर सेक्टर में एक नई मिसाल भी स्थापित करेगा।

बॉडी बनाने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए ?

बॉडी बनाने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन सिर्फ सही एक्सरसाइज ही काफी नहीं है। इसके साथ सही डाइट भी जरूरी है। अगर आप muscle gain या फिट बॉडी पाना चाहते हैं, तो ये जानना बेहद जरूरी है कि आपको किन चीजों से बचना चाहिए। गलत खानपान आपकी मेहनत को बेकार कर सकता है। आइए जानते हैं, बॉडी बनाने के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए।

1. जंक फूड से बचें (Avoid Junk Food)

  • बर्गर, पिज्जा और फ्रेंच फ्राइज: इन सभी में high-calorie और low-nutrition content होता है, जो आपकी बॉडी को नुकसान पहुंचाता है।
  • पैक्ड स्नैक्स: चिप्स, नूडल्स और प्री-पैक्ड फूड्स में ट्रांस फैट और preservatives होते हैं, जो muscle recovery में बाधा डालते हैं।

2. ज्यादा शुगर वाले फूड्स (Sugary Foods)

  • मीठा और कोल्ड ड्रिंक्स: Excessive sugar आपकी कैलोरी को बढ़ाती है और फैट गेन का कारण बनती है।
  • कैंडीज और पेस्ट्रीज: ये आपके इंसुलिन लेवल को बढ़ाते हैं और मसल्स बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।

3. अल्कोहल (Alcohol)

  • अल्कोहल आपके metabolism को धीमा करता है और muscle recovery में बाधा डालता है।
  • ये आपकी बॉडी को डिहाइड्रेट करता है, जिससे वर्कआउट के बाद ठीक से रिपेयर नहीं हो पाते।

4. डीप फ्राइड फूड्स (Deep Fried Foods)

  • समोसे, कचौड़ी और पकौड़े: इन फूड्स में unhealthy fats होते हैं, जो आपकी बॉडी के लिए नुकसानदायक हैं।
  • यह आपके digestion system पर भी असर डाल सकते हैं और वर्कआउट के बाद थकान महसूस करा सकते हैं।

5. प्रोसेस्ड मीट (Processed Meat)

  • सॉसेज, सलामी और हॉट डॉग्स में sodium और unhealthy preservatives होते हैं।
  • यह मसल्स की ग्रोथ को रोक सकते हैं और आपके वर्कआउट रिजल्ट्स को प्रभावित कर सकते हैं।

6. कैफीन का अधिक सेवन (Excess Caffeine)

  • ज्यादा कैफीन डिहाइड्रेशन और नींद की कमी का कारण बनता है, जिससे muscle recovery पर असर पड़ता है।
  • दिन में 1-2 कप coffee या चाय सही है, लेकिन इससे अधिक नहीं।

7. सफेद ब्रेड और रिफाइंड कार्ब्स (White Bread and Refined Carbs)

  • रिफाइंड कार्ब्स जैसे व्हाइट ब्रेड और पास्ता आपकी बॉडी को empty calories देते हैं।
  • इनसे आपकी energy levels जल्दी गिर सकती हैं, जिससे वर्कआउट में performance कम हो सकती है।

8. ज्यादा नमक वाले फूड्स (High Salt Foods)

  • ज्यादा सोडियम से वाटर रिटेंशन होता है, जिससे बॉडी फूली हुई लग सकती है।
  • प्रोसेस्ड फूड्स और पैक्ड सूप्स में अक्सर सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है।

बॉडी बनाना केवल gym में मेहनत करने से ही नहीं होता, बल्कि सही डाइट और lifestyle से भी जुड़ा है। गलत फूड्स से बचना उतना ही जरूरी है जितना सही फूड्स को शामिल करना।
“Consistency is key – सही खाना खाएं, गलत आदतों को छोड़ें और अपने fitness goals को achieve करें!”

सर्दियों में बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा, रहें सतर्क

सर्दियों का मौसम जहां ठंडी हवाओं और गर्म चाय का आनंद लेकर आता है, वहीं यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है। ठंड के कारण शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे कई बीमारियां (diseases) होने का खतरा बढ़ जाता है।

1. सर्दी और जुकाम (Cold & Flu)

सर्दियों में सबसे ज्यादा लोग सर्दी-जुकाम (common cold) से प्रभावित होते हैं। ठंडे मौसम में वायरस तेजी से फैलते हैं, जिससे यह बीमारी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकती है। गर्म कपड़े पहनें और ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।

2. अस्थमा (Asthma)

ठंडी हवा और पॉल्यूशन (pollution) अस्थमा के मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन सकते हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ सकती है। इनहेलर हमेशा साथ रखें और डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों का सेवन करें।

3. हार्ट अटैक (Heart Attack)

सर्दियों में ठंड के कारण ब्लड प्रेशर (blood pressure) बढ़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। बुजुर्गों और हृदय रोगियों को इस मौसम में खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर चेक कराएं।

4. जोड़ों का दर्द (Joint Pain)

ठंड का असर हड्डियों और जोड़ों पर भी पड़ता है। आर्थराइटिस (arthritis) के मरीजों को इस मौसम में ज्यादा दर्द और जकड़न का अनुभव हो सकता है। गर्म पानी से स्नान करें और हल्की एक्सरसाइज करें।

कैसे करें बचाव?

  • गर्म कपड़े पहनें और खुद को ठंड से बचाएं।
  • इम्यूनिटी (immunity) बढ़ाने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फलों का सेवन करें।
  • घर को गर्म और साफ-सुथरा रखें।

सर्दियों का मौसम जितना सुहावना होता है, उतना ही सतर्कता भी मांगता है। थोड़ी सावधानी से आप इस मौसम का पूरा आनंद ले सकते हैं।

बीड़ी पीने के नुकसान और फायदे, जानकर नहीं होगा यकीन

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