Eid 2025 : ईद इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे दुनिया भर के मुसलमान हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। ईद का त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा और आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है। ईद दो प्रकार की होती है – ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा। इन दोनों त्योहारों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। आइए जानते हैं कि ईद क्यों मनाई जाती है और इसका इतिहास क्या है।
ईद-उल-फितर क्यों मनाते हैं ?
ईद-उल-फितर को ‘मीठी ईद’ भी कहा जाता है। ये रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाई जाती है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, पैगंबर हजरत मोहम्मद को रमजान के महीने में कुरान शरीफ की शिक्षा प्राप्त हुई थी। इस महीने में मुसलमान रोज़े रखते हैं, इबादत करते हैं और खुद को आध्यात्मिक रूप से मजबूत करने का प्रयास करते हैं।
रमजान का महीना समाप्त होने के बाद शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। इसे ‘रोज़ा खोलने का त्योहार’ भी कहा जाता है। इस दिन की शुरुआत विशेष नमाज़ से होती है, जिसे ईद की नमाज़ कहा जाता है। इस मौके पर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए फितरा दान किया जाता है।
ईद-उल-अजहा क्यों मनाते हैं ?
ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म में कुर्बानी के त्योहार के रूप में मनाई जाती है। ये इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने जिलहिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है।
इसका संबंध पैगंबर इब्राहिम की उस परीक्षा से है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे हजरत इस्माईल की कुर्बानी देने का संकल्प लिया था। अल्लाह की कृपा से उनके बेटे की जगह एक जानवर (दुम्बा) की कुर्बानी दी गई। इस घटना की याद में हर साल ईद-उल-अजहा मनाई जाती है और कुर्बानी की परंपरा निभाई जाती है।
ईद का त्यौहार कैसे मनाया जाता है ?
- नमाज़ अदा करना – ईद के दिन विशेष नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसमें अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है।
- जकात और फितरा देना – गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने का नियम है, ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें।
- मिठाइयाँ और पकवान बनाना – मीठी ईद पर खासतौर पर सिवइयाँ बनाई जाती हैं, जबकि बकरीद पर कुर्बानी के गोश्त से पकवान बनाए जाते हैं।
- रिश्तेदारों से मिलना – लोग अपने परिवार और दोस्तों से मिलते हैं, बधाइयाँ देते हैं और प्यार व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।
ईद का सामाजिक और धार्मिक संदेश
ईद सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं बल्कि आपसी भाईचारे, दया, प्रेम और सहानुभूति का प्रतीक भी है। ये हमें आत्मसंयम, सेवा और दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देता है। ईद के माध्यम से समाज में समानता और एकता का संदेश दिया जाता है।
इस साल भी दुनिया भर में मुसलमान ईद को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएँगे। इस त्योहार के अवसर पर सभी को एक-दूसरे को सम्मान देने और जरूरतमंदों की सहायता करने का संकल्प लेना चाहिए। ईद मुबारक!