US Tariff Pause : ट्रंप की टैरिफ वॉर से भारत को बड़ा फायदा

US Tariff Pause : दुनियाभर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ नीति को लेकर हंगामा मचा हुआ है। ट्रंप ने चीन से लेकर यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और भारत जैसे करीबी देशों पर भी भारी टैरिफ लगा दिए हैं। भारत पर उन्होंने 26 फीसदी का टैरिफ थोप दिया है, जिसके बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक बहस छिड़ गई है।

हाल ही में संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और सरकार से तत्काल प्रतिक्रिया की मांग की। लेकिन मोदी सरकार फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की नीति पर चल रही है। वो अमेरिका से सीधे टकराव से बचते हुए बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए हल तलाशने में जुटी है। (US Tariff Pause)

US Tariff Pause का सच क्या?

शेयर बाजारों में हुए नुकसान के बाद सोशल मीडिया पर कई दावे किए जा रहे हैं। जिसमे से एक दावा है कि, अमेरिका 90 दिनों तक टैरिफ पर रोक लगाने जा रहा है। इस तरह की खबर आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन व्हाइट हाउस ने इस ख़बर का खंडन किया है। ट्रंप सरकार ने साफ कहा कि टैरिफ पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई जा रही है।

Trump के साथ जल्द होगी डील?

इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हाल ही में देखी गई, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष से बातचीत की। दोनों देशों के बीच एक संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी ट्रेड डील की तैयारी चल रही है। भारत इस संकट को अवसर में बदलने की कोशिश में है और कुछ संकेतों से यह स्पष्ट भी हो रहा है। (US Tariff Pause)

राहुल गांधी के वार पर सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विपक्ष को संयम बरतना चाहिए। सरकार की रणनीति को समझे बिना संसद में हड़बड़ी में प्रतिक्रिया देना उचित नहीं। भारत सरकार दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है, न कि तात्कालिक राजनीतिक प्रतिक्रिया के तहत।

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भारत को टैरिफ वॉर से हो सकते हैं ये फायदे (US Tariff Pause)

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति भारत के लिए सिर्फ संकट नहीं, कई संभावनाएं भी लेकर आई है। उदाहरण के तौर पर—

1. प्रतिस्पर्धा में बढ़त

चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों पर अमेरिका ने भारत की तुलना में ज्यादा टैरिफ (50% तक) लगाए हैं। इससे भारतीय वस्तुएं अमेरिकी बाजार में ज्यादा किफायती हो सकती हैं। खासतौर पर कपड़ा उद्योग को इसका सीधा लाभ मिल सकता है। वर्ष 2023-24 में भारत का कुल कपड़ा निर्यात 36 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें से 28% अमेरिका को हुआ। ऐसे में भारत से अमेरिका को निर्यात बढ़ने की पूरी संभावना है।

2. घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन

टैरिफ के जवाब में भारत अपने आयात शुल्क में बदलाव कर सकता है, जिससे घरेलू उद्योग को मजबूती मिलेगी। इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को भी बल मिलेगा। फार्मा सेक्टर को अमेरिका में टैरिफ छूट मिलना, इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

3. सप्लाई चेन शिफ्ट का मौका

अगर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद और बढ़ता है, तो अमेरिकी कंपनियां अपनी सप्लाई चेन चीन से हटाकर भारत जैसी स्थिर अर्थव्यवस्था में शिफ्ट कर सकती हैं। यही वजह है कि टेक कंपनियां जैसे ऐपल और सैमसंग भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रही हैं।

भारत बन सकता है नई मैन्युफैक्चरिंग हब

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐपल और सैमसंग भारत से अपने उत्पाद अमेरिका भेजने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसा कर ये कंपनियां चीन पर लगे 34% अतिरिक्त टैरिफ से बच सकेंगी। जबकि भारत से भेजे गए सामान पर केवल 26% शुल्क लगेगा।

पिछले सप्ताह ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर 54% तक टैरिफ लगा दिया है, जिससे अमेरिका में स्मार्टफोन जैसे उत्पादों की लागत काफी बढ़ गई है। इस स्थिति का फायदा उठाकर ऐपल ने भारत में आईफोन निर्माण बढ़ा दिया है। भारत में फॉक्सकॉन और टाटा ग्रुप पहले से ही आईफोन बना रहे हैं, अब इनका उत्पादन और बढ़ेगा। (US Tariff Pause)

उधर, सैमसंग भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। उसकी नोएडा फैक्ट्री पहले से ही तैयार है और कंपनी वियतनाम से होने वाले 55 बिलियन डॉलर के निर्यात को भारत में स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार कर रही है।

अमेरिका की टैरिफ नीति भले ही पहली नजर में भारत के लिए चुनौती लगे, लेकिन सही रणनीति अपनाकर यह देश के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है। जरूरी है कि राजनीतिक दल एकजुट होकर वैश्विक रणनीति पर सोचें और भारत के दीर्घकालिक हित को प्राथमिकता दें। भारत की चुप्पी रणनीतिक हो सकती है, लेकिन उसके कदम निश्चित रूप से चौंकाने वाले और निर्णायक साबित हो सकते हैं।

US Tariffs on India : ट्रंप ने बढ़ाया टैरिफ, भारत पर असर ?

US Tariffs on India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) की घोषणा करते हुए भारत, चीन, जापान और यूरोपीय संघ सहित कई देशों से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की नई नीति पेश की। इस नई नीति के तहत, भारत से आने वाले उत्पादों पर 26% शुल्क लगाया जाएगा।

‘मुक्ति दिवस’ का ऐलान और Trump का संदेश

व्हाइट हाउस में आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “मेरे प्रिय अमेरिकियों, आज का दिन ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में इतिहास में दर्ज होगा। यह वह दिन है जब अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ, हमारी अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली और अमेरिका को फिर से समृद्ध बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई।”

उन्होंने इस नीति को अमेरिका की आर्थिक स्वतंत्रता की ओर एक बड़ा कदम बताया। ट्रंप का मानना है कि यह फैसला अमेरिकी कंपनियों और श्रमिकों के हित में लिया गया है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी उत्पादों की निर्भरता कम होगी।

US Tariffs on India

राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “सबसे अच्छा दोस्त” बताते हुए भी ये कहा कि भारत अमेरिका के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा है। उनका आरोप है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 52% तक का शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर अब तक अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाता रहा है। इसी असमानता को दूर करने के लिए अमेरिका ने भारत पर 26% टैरिफ (US Tariffs on India) लगाने का फैसला किया है।

किन देशों पर कितना टैरिफ लगाया गया?

नए ‘पारस्परिक टैरिफ’ (Reciprocal Tariffs) नीति के तहत, विभिन्न देशों से आयातित वस्तुओं पर अलग-अलग टैरिफ दरें लागू की गई हैं:

देश टैरिफ (%)
भारत 26%
चीन 34%
यूरोपीय संघ 20%
जापान 24%
ताइवान 22%
इजरायल 17%

नई नीति का असर क्या होगा?

भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव

अमेरिका का ये कदम भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। पहले से ही कई व्यापारिक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच असहमति रही है, और ये नया टैरिफ नीति इन संबंधों में और तनाव पैदा कर सकती है।

भारतीय कंपनियों पर असर

नई टैरिफ नीति (US Tariffs on India) से भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में व्यापार करना महंगा हो जाएगा। विशेष रूप से वे कंपनियां जो अमेरिका में अपने उत्पादों का बड़ा निर्यात करती हैं, उन्हें अधिक टैक्स देने के कारण प्रतिस्पर्धा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकी उपभोक्ताओं पर प्रभाव

टैरिफ बढ़ने (US Tariffs on India) से अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। वहीं, कई अमेरिकी कंपनियां जो भारत से कच्चा माल या तैयार उत्पाद आयात करती हैं, उनकी लागत भी बढ़ सकती है।

क्या अंतरराष्ट्रीय व्यापार युद्ध की संभावना है?

इस फैसले के बाद भारत सहित अन्य प्रभावित देश जवाबी कदम उठा सकते हैं और अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी।

हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप का दावा है कि उनकी ये नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, “हमने इससे भी ज्यादा शुल्क लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन हमने इसे सीमित रखा। ये टैरिफ नीति अमेरिका के हित में है और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।”

Trump की नीति पर क्या बोले विशेषज्ञ ?

कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये नीति अमेरिका को दीर्घकालिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। उनका कहना है कि उच्च टैरिफ से अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध कमजोर हो सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अलावा, कई अमेरिकी कंपनियां जो विदेशी बाजारों में व्यापार करती हैं, वे भी प्रतिशोधी टैरिफ का सामना कर सकती हैं, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा।

आगे क्या होगा?

भारत सरकार और अन्य प्रभावित देशों की प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण होगी। यदि भारत अमेरिका के इस कदम के खिलाफ कड़े फैसले लेता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और जटिल हो सकते हैं।

इस बीच, ये देखना दिलचस्प होगा कि वैश्विक व्यापार जगत इस नीति पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और क्या अमेरिका का ये कदम वास्तव में घरेलू अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाता है या नहीं।

 

टैरिफ को लेकर ट्रंप का फिर बड़ा ऐलान, भारत को होगा नुकसान ?

Donald Trump on Tariffs: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में सर्वोच्च पद संभालने के बाद कांग्रेस को दिए अपने पहले बड़े संबोधन में कहा, “हम अभी शुरुआत कर रहे हैं।” उन्होंने कांग्रेस के संयुक्त सत्र में सबसे लंबे संबोधन का रिकॉर्ड बनाया, जहां उन्होंने एक घंटे और 40 मिनट से अधिक समय तक बोलते हुए पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का रिकॉर्ड तोड़ दिया। क्लिंटन ने अपने कार्यकाल में 1 घंटे, 28 मिनट और 49 सेकंड का संबोधन दिया था।

अपने भाषण के दौरान, राष्ट्रपति ट्रम्प ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की का एक पत्र भी पढ़ा। इस पत्र में ज़ेलेंस्की ने उल्लेख किया था कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते को लेकर बातचीत फिर से शुरू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पिछली विस्फोटक बैठक के बाद भी, वो वार्ता की मेज पर लौटने के इच्छुक हैं।

राष्ट्रपति के भाषण के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने जोरदार तालियां बजाईं। विशेष रूप से दो अवसरों पर जब ट्रम्प ने प्रसिद्ध उद्योगपति एलन मस्क को संबोधित किया। मस्क भी सम्मान व्यक्त करने के लिए खड़े हुए। हालांकि, यह संबोधन पूरी तरह शांतिपूर्ण नहीं रहा। कुछ ही मिनटों बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों द्वारा विरोध शुरू कर दिया गया।

डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य अल ग्रीन को हंगामा करने के कारण बाहर निकालने का आदेश दिया गया। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन पर स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों को खत्म करने का आरोप लगाया और अपनी छड़ी लहराते हुए राष्ट्रपति का विरोध किया।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने भाषण में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने घोषणा की कि 2021 में अफ़गानिस्तान से अमेरिकी वापसी के दौरान 13 सैनिकों की हत्या के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को पाकिस्तान की मदद से गिरफ़्तार कर लिया गया है और अब उसे अमेरिका लाया जा रहा है, जहां वह न्याय का सामना करेगा।

व्यापार युद्ध को लेकर भी उन्होंने अपनी राय रखी। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि टैरिफ़ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आ सकती है, लेकिन ये देश की आत्मा की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा, “टैरिफ़ केवल अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा के लिए नहीं हैं, बल्कि वे हमारे देश की आत्मा की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।”

उनके इस बयान पर कांग्रेस में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। जबकि रिपब्लिकन सदस्यों ने इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला कदम बताया, वहीं डेमोक्रेट्स ने इसे आम नागरिकों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला बताया।

राष्ट्रपति ट्रम्प का ये संबोधन राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनज़र। इस भाषण के बाद अमेरिकी राजनीति में नई चर्चाओं की शुरुआत हो सकती है, जहां उनकी नीतियों पर और अधिक बहस देखने को मिलेगी।

Donald Trump के शपथ लेते ही, भारत का 8.3 लाख करोड़ रु का नुकसान

Donald Trump Oath : अमेरिका के नए राष्ट्रपति Donald Trump के शपथ ग्रहण समारोह के बाद भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई। मंगलवार को Sensex 1,235 अंक टूटकर 75,000 अंक के नीचे चला गया। इस भारी गिरावट ने निवेशकों को एक ही दिन में करीब 8.30 लाख करोड़ रु का नुकसान पहुंचाया।

शेयर बाजार में लहूलुहान स्थिति

शेयर बाजार में ये गिरावट ट्रंप के शपथ ग्रहण से ठीक पहले शुरू हुई। निवेशकों ने उनके पिछले कार्यकाल की policies को ध्यान में रखते हुए अपनी holdings को तेजी से कम करना शुरू कर दिया।

  • Sensex ने 1.5% से अधिक की गिरावट दर्ज की।
  • Nifty भी 320 अंक लुढ़ककर पिछले सात महीनों के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ।

Trump’s Policies का डर

डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में कई व्यापारिक नीतियां लागू की गई थीं, जैसे:

  1. China के साथ व्यापार युद्ध।
  2. Tariff बढ़ाने के फैसले।
  3. Global trade tensions।

उनकी वापसी के बाद एक बार फिर इन्हीं नीतियों के दोहराव की आशंका जताई जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ट्रंप ने व्यापारिक मोर्चे पर सख्त कदम उठाए, तो ये न केवल भारतीय बाजार बल्कि global markets में भी volatility बढ़ा सकता है।

निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह

बाजार के जानकारों का मानना है कि मौजूदा स्थिति में निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और short-term volatility से बचने के लिए मजबूत fundamentals वाले स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए।

क्या Trump का नया कार्यकाल भारतीय और वैश्विक बाजारों के लिए चुनौती साबित होगा? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

Donald Trump ने ली अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ, इमरजेंसी लगाने का लिया फैसला

Donald Trump Take Oath : अमेरिका में एक ऐतिहासिक पल के तहत डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ब्रेट कावानुघ ने उन्हें शपथ दिलाई, जबकि जेडी वेंस ने उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। यहां पहले भाषण के दौरान ट्रंप ने बॉर्डर पर इमरजेंसी की घोषणा की।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ट्वीट कर डोनाल्ड ट्रंप को उनकी नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी। देश और दुनिया के कई बड़े नेताओं ने भी ट्रंप को बधाई दी है। लेकिन अपने पहले ही भाषण में ट्रंप ने कई देशों की नींद उड़ा दी है।

ट्रंप का विजन: “अमेरिका फिर से महान बनेगा”
शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “अमेरिका का स्वर्ण युग (Golden Age) अब शुरू हो रहा है। हमारा देश पहले से कहीं अधिक महान, मजबूत और असाधारण बनेगा। मैं इस विश्वास और आशा के साथ राष्ट्रपति पद पर लौटा हूं कि हम एक नई राष्ट्रीय सफलता का युग शुरू कर रहे हैं।”

“अमेरिका का पतन समाप्त हो गया है”
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “आज से अमेरिका का पतन खत्म हो गया है। हालिया चुनावों ने यह साबित कर दिया है कि जनता अपने विश्वास, संपत्ति, लोकतंत्र और स्वतंत्रता को वापस चाहती है। यह जनादेश है कि देश में बदलाव की नई लहर लाई जाए।”

असफलताओं से लड़ने का संकल्प
ट्रंप ने अपने आलोचकों और विरोधियों पर भी कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “जो लोग हमारे काम को रोकना चाहते हैं, उन्होंने मेरी आज़ादी छीनने और मेरी जान लेने की कोशिश की। कुछ महीने पहले, पेंसिल्वेनिया के एक मैदान में, एक हत्यारे की गोली मेरे कान को चीरते हुए निकल गई। लेकिन मुझे लगा कि भगवान ने मेरी जान अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए बचाई है।”

मोदी का ट्रंप को संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने की हार्दिक बधाई। मुझे विश्वास है कि उनका नेतृत्व भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करेगा।”

नई उम्मीदों के साथ अमेरिका का नया अध्याय
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण ने अमेरिका में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत दिया है। ट्रंप की घोषणाएं और उनका आत्मविश्वास दर्शाते हैं कि वह देश को एक बार फिर महान बनाने के अपने एजेंडे पर काम शुरू करने के लिए तैयार हैं।

Donald Trump Oath :अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को लेंगे शपथ

Donald Trump Oath : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति Donald Trump आगामी 20 जनवरी को Inauguration Day के मौके पर राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करेंगे। इस खास दिन पर Washington, D.C. में एक भव्य समारोह का आयोजन होगा, जिसमें दुनियाभर के बड़े leaders और businessmen शामिल होंगे। भारत की ओर से External Affairs Minister S. Jaishankar इस समारोह में भारत की अगुवाई करेंगे। इसके अलावा, कई अन्य देशों के प्रमुखों के पहुंचने की संभावना है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर 20 जनवरी की तारीख अमेरिका के इतिहास में इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? आइए, जानते हैं इस दिन के पीछे की कहानी।

20 जनवरी: शपथ ग्रहण का ऐतिहासिक दिन

अमेरिका में हर राष्ट्रपति 20 जनवरी को ही शपथ लेते हैं। इसी परंपरा के तहत, डोनाल्ड ट्रंप भी 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। लेकिन सवाल उठता है कि 20 जनवरी को ही शपथ लेने की परंपरा कैसे शुरू हुई?

इसका जवाब अमेरिकी संविधान के 20वें संशोधन (20th Amendment) में छिपा है। इस संशोधन के तहत नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तारीख 20 जनवरी तय की गई। हालांकि, 1937 से पहले ये तारीख 4 मार्च होती थी। उस समय राष्ट्रपति के चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच लगभग ढाई महीने का transition period होता था।

Franklin D. Roosevelt पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 20 जनवरी 1937 को शपथ ली थी। तभी से ये दिन अमेरिका के इतिहास में Inauguration Day के रूप में मनाया जाता है।

क्या है Inauguration Day?

अमेरिका में हर चार साल में नवंबर के पहले मंगलवार को राष्ट्रपति चुनाव होता है। इसके बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति 20 जनवरी को शपथ लेते हैं।

संविधान के अनुसार, 1789 से 1933 तक शपथ ग्रहण की तारीख 4 मार्च थी। लेकिन 1933 में George Norris नामक सीनेटर की पहल पर संविधान में 20वां संशोधन किया गया। इसके तहत शपथ ग्रहण की तारीख को 4 मार्च से बदलकर 20 जनवरी कर दिया गया।

ये बदलाव transition period को छोटा करने और प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाने के लिए किया गया था। इसके बाद, Franklin D. Roosevelt पहले राष्ट्रपति बने जिन्होंने 20 जनवरी को शपथ ली। तब से ये दिन हर राष्ट्रपति के लिए एक महत्वपूर्ण milestone बन गया।

20 जनवरी का महत्व

इस दिन को अमेरिका के लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। सभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति इस परंपरा का सम्मान करते हैं। Inauguration Day सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि peaceful transfer of power का प्रतीक है, जो अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है।

20 जनवरी न सिर्फ अमेरिका के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण का दिन है, बल्कि ये दिन देश की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक प्रथाओं को भी दर्शाता है। इस साल डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के साथ एक और अध्याय इस गौरवशाली परंपरा में जुड़ जाएगा।

Donald Trump को हश मनी केस में राहत, जानिए क्यों नहीं मिली सजा ?

Donald Trump Hush Money Case : अमेरिका में शुक्रवार (10 जनवरी, 2025) को जस्टिस जुआन मर्चेन ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति Donald Trump को हश मनी केस में बिना शर्त बरी कर दिया। ट्रंप को सभी 34 मामलों में दोषमुक्त करार दिया गया है, और उन पर न तो कोई जुर्माना लगाया गया है, न ही जेल की सजा सुनाई गई है। इसका मतलब है कि ट्रंप के लिए अब White House तक की राह साफ हो गई है।

ट्रंप का नया इतिहास

हालांकि, ये फैसला अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में अनोखा है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं जो किसी केस में दोषी ठहराए जाने के बावजूद राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

क्या है बिना शर्त बरी का मतलब?

डोनाल्ड ट्रंप को बिना किसी penalty के बरी किया गया है। इसका मतलब है:

  1. उन्हें जेल की सजा नहीं होगी।
  2. उन्हें probation (पर्यवेक्षण) पर नहीं रखा जाएगा।
  3. उन पर कोई fine नहीं लगाया गया है।

ट्रंप के White House लौटने की राह साफ

इस फैसले ने ट्रंप के समर्थकों के बीच खुशी की लहर दौड़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये फैसला 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की संभावनाओं को और मजबूत करेगा।

ट्रंप के लिए राहत, विरोधियों के लिए सवाल

जहां ट्रंप के समर्थक इसे judicial victory मान रहे हैं, वहीं उनके विरोधी इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर तीखी बहस जारी है।

डोनाल्ड ट्रंप को मिली ये राहत उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। ये देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का अमेरिका की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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