US Tariff Pause : दुनियाभर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ नीति को लेकर हंगामा मचा हुआ है। ट्रंप ने चीन से लेकर यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और भारत जैसे करीबी देशों पर भी भारी टैरिफ लगा दिए हैं। भारत पर उन्होंने 26 फीसदी का टैरिफ थोप दिया है, जिसके बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक बहस छिड़ गई है।
हाल ही में संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और सरकार से तत्काल प्रतिक्रिया की मांग की। लेकिन मोदी सरकार फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की नीति पर चल रही है। वो अमेरिका से सीधे टकराव से बचते हुए बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए हल तलाशने में जुटी है। (US Tariff Pause)
US Tariff Pause का सच क्या?
शेयर बाजारों में हुए नुकसान के बाद सोशल मीडिया पर कई दावे किए जा रहे हैं। जिसमे से एक दावा है कि, अमेरिका 90 दिनों तक टैरिफ पर रोक लगाने जा रहा है। इस तरह की खबर आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन व्हाइट हाउस ने इस ख़बर का खंडन किया है। ट्रंप सरकार ने साफ कहा कि टैरिफ पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई जा रही है।
Trump के साथ जल्द होगी डील?
इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हाल ही में देखी गई, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष से बातचीत की। दोनों देशों के बीच एक संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी ट्रेड डील की तैयारी चल रही है। भारत इस संकट को अवसर में बदलने की कोशिश में है और कुछ संकेतों से यह स्पष्ट भी हो रहा है। (US Tariff Pause)
राहुल गांधी के वार पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विपक्ष को संयम बरतना चाहिए। सरकार की रणनीति को समझे बिना संसद में हड़बड़ी में प्रतिक्रिया देना उचित नहीं। भारत सरकार दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है, न कि तात्कालिक राजनीतिक प्रतिक्रिया के तहत।
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भारत को टैरिफ वॉर से हो सकते हैं ये फायदे (US Tariff Pause)
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति भारत के लिए सिर्फ संकट नहीं, कई संभावनाएं भी लेकर आई है। उदाहरण के तौर पर—
1. प्रतिस्पर्धा में बढ़त
चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों पर अमेरिका ने भारत की तुलना में ज्यादा टैरिफ (50% तक) लगाए हैं। इससे भारतीय वस्तुएं अमेरिकी बाजार में ज्यादा किफायती हो सकती हैं। खासतौर पर कपड़ा उद्योग को इसका सीधा लाभ मिल सकता है। वर्ष 2023-24 में भारत का कुल कपड़ा निर्यात 36 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें से 28% अमेरिका को हुआ। ऐसे में भारत से अमेरिका को निर्यात बढ़ने की पूरी संभावना है।
2. घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन
टैरिफ के जवाब में भारत अपने आयात शुल्क में बदलाव कर सकता है, जिससे घरेलू उद्योग को मजबूती मिलेगी। इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को भी बल मिलेगा। फार्मा सेक्टर को अमेरिका में टैरिफ छूट मिलना, इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
3. सप्लाई चेन शिफ्ट का मौका
अगर अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद और बढ़ता है, तो अमेरिकी कंपनियां अपनी सप्लाई चेन चीन से हटाकर भारत जैसी स्थिर अर्थव्यवस्था में शिफ्ट कर सकती हैं। यही वजह है कि टेक कंपनियां जैसे ऐपल और सैमसंग भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना पर काम कर रही हैं।
भारत बन सकता है नई मैन्युफैक्चरिंग हब
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐपल और सैमसंग भारत से अपने उत्पाद अमेरिका भेजने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसा कर ये कंपनियां चीन पर लगे 34% अतिरिक्त टैरिफ से बच सकेंगी। जबकि भारत से भेजे गए सामान पर केवल 26% शुल्क लगेगा।
पिछले सप्ताह ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर 54% तक टैरिफ लगा दिया है, जिससे अमेरिका में स्मार्टफोन जैसे उत्पादों की लागत काफी बढ़ गई है। इस स्थिति का फायदा उठाकर ऐपल ने भारत में आईफोन निर्माण बढ़ा दिया है। भारत में फॉक्सकॉन और टाटा ग्रुप पहले से ही आईफोन बना रहे हैं, अब इनका उत्पादन और बढ़ेगा। (US Tariff Pause)
उधर, सैमसंग भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। उसकी नोएडा फैक्ट्री पहले से ही तैयार है और कंपनी वियतनाम से होने वाले 55 बिलियन डॉलर के निर्यात को भारत में स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार कर रही है।
अमेरिका की टैरिफ नीति भले ही पहली नजर में भारत के लिए चुनौती लगे, लेकिन सही रणनीति अपनाकर यह देश के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है। जरूरी है कि राजनीतिक दल एकजुट होकर वैश्विक रणनीति पर सोचें और भारत के दीर्घकालिक हित को प्राथमिकता दें। भारत की चुप्पी रणनीतिक हो सकती है, लेकिन उसके कदम निश्चित रूप से चौंकाने वाले और निर्णायक साबित हो सकते हैं।