Maha Kumbh Mela भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे भव्य और पवित्र पर्व है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक समागम माना जाता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होकर Ganga, Yamuna और पौराणिक सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करते हैं। ये मेला हर 12 साल में चार स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।
इस साल महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां करीब 20 करोड़ श्रद्धालु इस मेले में शामिल होंगे। इसलिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने संतों के स्वागत के लिए तैयारी भी तेज कर दी हैं। बताया जा रहा है कि, संतों के विश्राम के लिए करोड़ों की संख्या में रहने के लिए कमरे तैयार किए गए हैं साथ ही सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है।
MahaKumbh का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कुंभ का आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी कथा पर आधारित है। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश (nectar of immortality) के लिए संघर्ष हुआ था। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरीं, जिन्हें पवित्र स्थल माना जाता है। यही कारण है कि महा कुंभ में संगम में स्नान को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम समझा जाता है।
विशेषताएं और आयोजन
महा कुंभ मेला 12 वर्षों के चक्र पर आधारित है और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इसकी तिथियां निर्धारित होती हैं। इस आयोजन में साधु-संतों, नागा बाबाओं और अखाड़ों की विशेष भूमिका होती है। मेले में धार्मिक प्रवचन, यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
आधुनिक सुविधाएं और तकनीकी उपयोग
अब कुंभ मेले का आयोजन अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित हो गया है। सरकार और प्रशासन की ओर से advanced technologies, जैसे डिजिटल टिकटिंग, सीसीटीवी मॉनिटरिंग और मोबाइल ऐप्स के जरिए मेले को सुचारू रूप से चलाया जाता है।
महा कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामूहिक आस्था का प्रतीक है। ये मेला न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि दुनिया को भारतीय विविधता और एकता की झलक भी दिखाता है।