AAP (आम आदमी पार्टी) के राष्ट्रीय संयोजक Arvind Kejriwal ने दिल्ली में पानी के बिलों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार के समय 12 लाख से ज्यादा परिवारों को “0 रुपये का पानी का बिल” आता था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में लोगों पर भारी बिलों का बोझ डाल दिया गया है।
केजरीवाल का वादा
अरविंद केजरीवाल ने कहा: “दिल्ली में हमारी सरकार ने पिछले 10 सालों से लोगों को मुफ्त पानी की सुविधा दी। लेकिन मेरे जेल जाने के बाद, मुझे नहीं पता कि इन लोगों ने क्या किया। अब हर महीने हज़ारों-लाखों रुपये के पानी के बिल आ रहे हैं।”
केजरीवाल ने वादा करते हुए कहा कि, “जिन लोगों को लगता है कि उनके पानी के बिल गलत हैं, उन्हें इनका भुगतान करने की ज़रूरत नहीं है। AAP की सरकार बनने के बाद हम इन गलत बिलों को माफ करवाएंगे। ये मेरा वादा और गारंटी है।”
#WATCH दिल्ली: AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली में हमारी सरकार पिछले 10 सालों से लोगों को मुफ्त पानी मुहैया करा रही है। 12 लाख से ज़्यादा परिवारों को 0 पानी का बिल आता है। लेकिन मेरे जेल जाने के बाद, मुझे नहीं पता कि इन लोगों ने क्या किया। उन्होंने कुछ गलत… pic.twitter.com/3nXw5cJ0LG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 4, 2025
क्या है पानी का बिल विवाद?
- फ्री पानी की योजना:
AAP सरकार ने दिल्ली में हर परिवार को 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी देने की योजना लागू की थी। - बिल में बढ़ोतरी:
हाल के महीनों 1में कई लोगों ने शिकायत की है कि उन्हें गलत और बढ़े हुए पानी के बिल मिल रहे हैं। - AAP का आरोप:
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर प्रशासन ने लोगों को भारी बिल देना शुरू कर दिया।
राजनीतिक माहौल गरमाया
- केजरीवाल का दावा:
AAP प्रमुख ने इसे दिल्ली के निवासियों के खिलाफ एक साजिश करार दिया। - विपक्ष का पलटवार:
BJP और कांग्रेस ने इसे चुनावी स्टंट बताते हुए कहा कि केजरीवाल वोट पाने के लिए झूठे वादे कर रहे हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
- AAP समर्थक:
केजरीवाल के बयान पर AAP समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनका समर्थन किया और मुफ्त पानी की योजना की तारीफ की। - विपक्षी का आरोप:
विपक्षी पार्टियों ने कहा कि मुफ्त योजनाओं का वादा कर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल के इस बयान ने दिल्ली की राजनीति को एक बार फिर चर्चा का केंद्र बना दिया है। पानी के बढ़े हुए बिलों का मुद्दा आगामी चुनावों में एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है। अब ये देखना बाकी है कि AAP इस मुद्दे को किस हद तक भुनाती है और जनता इस पर कैसी प्रतिक्रिया देती है।