दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक Arvind Kejriwal ने प्रधानमंत्री Narendra Modi को पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की OBC लिस्ट में शामिल करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि “प्रधानमंत्री ने दिल्ली के जाट समाज के साथ धोखा किया है।
केजरीवाल का आरोप: PM ने वादे पूरे नहीं किए
केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा, “2015 में प्रधानमंत्री ने जाट समाज के नेताओं से वादा किया था कि दिल्ली के जाटों को केंद्र की OBC लिस्ट में शामिल किया जाएगा। 2019 में गृहमंत्री अमित शाह ने भी यही वादा किया। लेकिन आज तक जाट समाज को OBC लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।”
#WATCH दिल्ली: AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार की OBC लिस्ट में जाट समाज का नाम आता है लेकिन केंद्र सरकार की लिस्ट में दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है… ये हमारे दिल्ली के जाट भाई-बहनों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है… पिछले 10 सालों में 4 बार इन्होंने… https://t.co/eZw88DPYvi pic.twitter.com/cw5xHbSonn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 9, 2025
उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों से जाट समाज को OBC आरक्षण के नाम पर गुमराह किया है। राजस्थान के जाट समाज को अगर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में रिजर्वेशन मिल सकता है, तो दिल्ली के जाट समाज को क्यों नहीं?
जाट समाज के बच्चों को नहीं मिलता DU में एडमिशन
अरविंद केजरीवाल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “दिल्ली के जाट समाज के हजारों बच्चे DU में एडमिशन से वंचित रह जाते हैं। केंद्र की ओबीसी लिस्ट में न होने के कारण न उन्हें कॉलेज में एडमिशन का लाभ मिलता है, न ही सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का। मोदी सरकार ने जाट समाज के साथ अन्याय किया है।”
‘वादों को भूल जाती है सरकार’
Kejriwal ने कहा, “प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने जाट समाज से किए वादे नहीं निभाए। चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन बाद में उन वादों को भुला दिया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने PM मोदी को चिट्ठी लिखकर उनके पुराने वादे की याद दिलाई है। AAP का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर टकराव बढ़ता जा रहा है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि PM मोदी और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। जाट समाज की मांगों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो रही है।